BREAKING NEWS

  • अपने पड़ोसियों के साथ मिलकर काम करे चीन, अमेरिकी सांसद ने दी सलाह

excelkhabar
add
Facebook LinkedIn Twitter G-plus RSS
  • खबरें
  • मुख्य समाचार
  • राजनीति
  • शहर समाचार
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • व्यापार
  • खेल
  • प्रमुख खबरें
  • विदेश
  • राशिफल
  • धर्म/ अध्यात्म
  • सोशल मीडिया
गैलरी पर जाएँ

'नज़रिया '

नज़रिया: ‘पेड न्यूज़’ पर रोक लगाने की चुनाव आयोग की कोशिशें कितनी सफल

16-Nov-2018

By:  sachin



निकट भविष्य में चुनाव आयोग पेड न्यूज़ पर रोक लगाने के लिए कुछ नए गाइडलाइंस जारी कर सकता है. इस आशंका की सबसे बड़ी वजह तो यही है कि चुनाव मैदान में उम्मीदवार और मीडिया संस्थान मौजूदा प्रावधानों को बेमानी बना देंगे. इतिहास बताता है कि उम्मीदवारों और मीडिया के बीच पेड न्यूज़ के लिए बना गठजोड़ चुनाव आयोग के हर नए दिशा-निर्देश के बाद भी एक नई खोज कर लेता है. यह गठजोड़ इस कहावत में भरोसा करता है कि 'तू डाल-डाल तो मैं पात-पात'. पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एके जोती ने आयोग से अपनी विदाई से पूर्व अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा था कि संस्थाएं, राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवार चुनाव और स्थापित नियम क़ायदों का उल्लंघन करने के लिए नए नए रास्ते और चालाकियों की खोज कर लेते हैं. दिसंबर, 1997 के आख़िरी हफ्ते में चुनाव आयोग से राजनीतिक पार्टियों के प्रतिनिधियों ने ये शिकायत की कि टेलीविज़न चैनलों द्वारा प्रसारित मतदान पूर्व सर्वेक्षण और मतदान के तत्काल बाद सर्वेक्षण से मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की जाती है और यह स्वतंत्र चुनाव संपन्न कराने के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है. लेकिन यह उन पार्टियों के लिए आंसू जैसा था जो मीडिया का अपने पक्ष में इस्तेमाल करने से चूक गई थी. चुनाव आयोग ने इन शिकायतों के तत्काल बाद जनवरी, 1998 के दूसरे हफ्ते में निजी और सरकारी चैनलों के प्रतिनिधियों के अलावा टेलीविज़न के लिए समसामयिक विषयों पर कार्यक्रम तैयार करने वाले प्रोड्यूसरों को भी आमंत्रित किया था और उनके सामने यह चुनौती पेश की थी कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए चुनाव के दौरान राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार की ख़बरों को लेकर संतुलन बनाया जाना चाहिए. लेकिन व्यावसायिक कंपनियों द्वारा किए जाने वाले मतदान पूर्व और बाद के सर्वेक्षण महज़ पेड न्यूज़ की बीमारी का एक लक्षण साबित हुए. लगभग हर चुनाव के बाद मीडिया युद्ध में आहत राजनीतिक पार्टियां चुनाव आयोग के सामने ये शिकायत लेकर पहुंचती रही हैं कि उनकी प्रतिद्वंद्वी पार्टियों में पेड न्यूज़ की बीमारी के कौन-कौन से नए लक्षण देखे गए हैं. इसके बाद चुनाव आयोग अपने पुराने दिशा-निर्देशों में उस लक्षण के भी उपचार की ज़रूरत पर बल देने की औपचारिकता पूरी करता रहा है और यह 'छूत की बीमारी' फैलती गई है. मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत का कहना है कि हाल के दिनों में स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी मतदान के लिए अगर कोई सबसे बड़े ख़तरे के रूप में सामने दिखता है तो वह मीडिया के उल्लंघनों की प्रवृति है. मतदान को प्रभावित करने वाले टेलीविज़न जैसे माध्यम भारत के लिए नए थे और चुनाव आयोग का फ़ोकस टेलीविज़न चैनलों की तरफ रहा तो मीडिया मैनेजमेंट कंपनियों ने राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों को उससे पुरानी तकनीक रेडियो का रास्ता दिखा दिया. तब चुनाव आयोग ने भी मतदान को प्रभावित करने वाले तौर-तरीकों पर बंदिशें लगाने वाले अपने पुराने दिशा-निर्देशों में अप्रैल 2004 में रेडियो को भी शामिल कर लिया. चुनाव आयोग के जून 2010 के एक परिपत्र के अनुसार आयोग ने प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ख़तरे के निशान की तरफ बढ़ते पेड न्यूज़ की प्रथा को ख़त्म करने के लिए मौजूदा क़ानूनी प्रावधानों का अधिकतम इस्तेमाल करने का निर्देश दिया है. तब तक चुनाव आयोग के सामने प्रिंट मीडिया में पेड न्यूज़ का इतना ही रूप रंग दिखाई दिया था कि किसी पार्टी और उसके उम्मीदवार की तरफ रेंगते समाचार आधारित लेख व रिपोर्ट प्रकाशित किए जाते हैं अथवा प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों की बेवजह इस तरह रगड़ाई की जाती है ताकि मतदाताओं को प्रभावित किया जा सके. पांच विधानसभाओं के मौजूदा चुनाव प्रचार के दौरान मीडिया की भूमिका पर नजर रखने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि अब तो प्रिंट ने पेड न्यूज़ की चालाकियों का जाल सा बिछा लिया है कि उसे पाठकों के भीतर उठने वाले भावों के अलावा किसी अन्य तरह से प्रमाणित करना मुश्किल है. पाठक अख़बार में उम्मीदवार की ख़बर को पढ़कर बेसाख्ता कह सकता है कि यह पेड न्यूज़ है और सबूत के तौर पर बस उसके पास इतना ही होता है. कमोबेश इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में भी ख़बरें देखने के बाद ही ये महसूस हो सकता है कि ये पेड न्यूज़ है. 2012 में चुनाव आयोग ने ये पाया कि पेड न्यूज़ की बीमारी को ख़त्म करने के लिए उसकी ओर से अब तक जितने उपचार सामने आए हैं उनमें सिनेमा हॉल को भी शामिल किया जाना चाहिए. इसी इरादे से उसने अपने पुराने और 21 नवंबर 2008 को जारी दिशा निर्देश पत्र में संशोधन करने का फ़ैसला लिया. चुनाव आयोग मीडिया के संभावित दुरुपयोग की आशंका के मद्देनज़र कार्रवाई नहीं कर सकता है. चुनाव आयोग जैसी संस्था पुलिस की तरह शिकायतों पर कार्रवाई करती है. दूसरी तरफ़ भारत में तकनीक का आयात इस तेज़ी के साथ हुआ है कि चुनावों में जीतने की शर्त को पूरा करने के लिए राजनीतिक पार्टियां और उम्मीदवार पैसों की ताक़त से उन्हें ख़रीद लेती हैं और चुनाव आयोग तक शिकायत होने से पहले चुनावों में उनका इस्तेमाल कर चुकी होती हैं. चुनाव आयोग ने अभी तक प्रकाशित और प्रसारित होने वाले पेड न्यूज़ के आठ फॉर्मेट को वर्गीकृत किया है. चुनाव आयोग की मुश्किल 2014 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर इस लेखक को चुनाव आयोग के महानिदेशक प्रसन्न कुमार दास ने बताया कि अभी 40 ऐसे तरीके हैं जिनके ज़रिए उम्मीदवार धन का दुरुपयोग करते हैं. उनमें गली-मोहल्ले में शराब बांटने से लेकर गाड़ियां बांटने तक के मामले शामिल हैं. बम पिस्तौल से हिंसा के रूप तो गिने-चुने हैं, लेकिन धन के दुरुपयोग के रूपों का कोई अंत नहीं दिखता है. महानिदेशक दास के अनुसार अब जो चालीस तरीकों से धन का दुरुपयोग किया जाता है, वह आने वाले दिनों में बढ़ेगा ही. सोशल मीडिया की तकनीक ने तो चुनाव आयोग द्वारा पेड न्यूज के निगरानी तंत्र को एक विशाल ढांचे में तब्दील करने के लिए बाध्य-सा कर दिया है. यह दावा किया जा सकता है कि देश के पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर 11 अक्तूबर 2018 को चुनाव आयोग ने मीडिया कवरेज के संबंध में जो प्रेस नोट जारी किया है, वह हनुमान की पूंछ की तरह लंबा होते जाने का एक उदाहरण कहा जा सकता है. लोकतंत्र की रक्षा के उद्देश्य से चुनाव आयोग निर्देशों का एक सिद्धांत जारी करता है, लेकिन राजनीतिक पार्टियां और उनके मनोनीत उम्मीदवार एक वकील की तरह पेड न्यूज़ के बचाव के लिए नई चालाकी की खोज कर लेते हैं.


खबर कैसी लगी ? :

Share
Tweet


Select Rate

प्रतिक्रिया दें

Please Enter Your Name !
Please Enter Your Comment !

Please Enter Text as Shown in Image !

सम्बधित खबरे

और भी
election-chunavi-summer-satire-vidhansabhachunav20

कटाक्ष: हाथ जोड़ फिर तोड़—फोड़

sushma-swaraj-narendra-modi-amit-shah-indiragandhi

नजरिया: सुषमा के बहाने, BJP के तीर और निशाने

india-attitude-is-changing-with-the-taliban

तालिबान को लेकर बदल रहा है भारत का नज़रिया?

allahabad-was-made-by-the-british-by-allahabad-of-

नज़रिया: अकबर के इलाहाबास को अंग्रेज़ों ने बना दिया था इलाहाबाद

pm-modi-wins-a-hat-on-azad-hind

नज़रिया: आज़ाद हिन्द की टोपी पहन, कांग्रेस पर वार कर गए पीएम मोदी

election-commissions-efforts-to-ban-paid-news

नज़रिया: ‘पेड न्यूज़’ पर रोक लगाने की चुनाव आयोग की कोशिशें कितनी सफल

देखें अन्य फोटो

और भी

एक नजर

  • uttar-pradesh-railway-zakshanas-kabychi

    चमत्कार: एक साल की बच्ची के ऊपर से गुजरी ट्रेन, नहीं आई एक खरोंच भी

    जाको राखे साइयां मार सके न कोय वाली कहावत आज एक बच्ची पर पूरी तरह चरितार्थ साबित हुई, जब वह एक हादसे दौरान बाल-बाल बच गई। मामला उत्तर प्रदेश के मथुरा रेलवे जक्शंन का है।   आगे पढ़ें

  • 13-year-old-girl-gave-new-life-to-three-people

    मरते-मरते भी तीन लोगों को नई जिंदगी दे गई 13 वर्षीय लड़की

    कुछ लोग मौत जैसी खौफनाक हकीकत को भी खूबसूरत मोड़ दे जाते हैं। वह मरने के बाद भी इस धरती पर अपने आप को जीवित छोड़ ज़ाते हैं। दुनिया को अलविदा कह चुकी 13 वर्षीय लड़की के अंगदान से 3 जरूरतमंद लोगों को नई जिंदगी मिल गई।   आगे पढ़ें

  • now-the-idea-of-the-youth-of-himachal-will-change-

    अब एक आइडिया बदलेगा हिमाचल के युवाओं की किस्मत, जानिए कैसे

    हमीरपुर में अब एक आइडिया युवाओं की किस्मत बदलने जा रहा है। भारत सरकार के स्टार्टअप मिशन के तहत सबंधित टीम मोबाइल वैन के जरिए पूरे देश के कोने-कोने में घूमकर नए स्टार्ट अप स्थापित करने की चाह रखने वाले युवाओं से संपर्क कर रही है।   आगे पढ़ें

  • raja-bhaiya-opposes-reservation-in-promotion-says-

    आरक्षण के विरोध में राजा भैया बोले, प्रमोशन का आधार गुणवत्ता और वरिष्ठता हो, जाति नहीं

    प्रतापगढ़ के कुंडा से बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने शुक्रवार को लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस कर नई राजनीतिक पार्टी बनाने की आधिकारिक घोषणा करते हुए पार्टी के मुद्दों के बारे में बताया.   आगे पढ़ें

  • selected-entries-for-comedy-wildlife-photography-a

    पेट पकड़ कर हंसने पर मजबूर हो जायेंगे आप जानवरों की ये अदाएं देखकर

    कल्पना कीजिये उस दृश्य की, जिसमें कोई गिलहरी किसी मेंढक के साथ लिप-लॉक कर रही हो। गिलहरी झूला झूल रही हो।   आगे पढ़ें

दिल पे मत ले यार

  • ...तो अब खुशी से मरने को भी तैयार हैं मौनी रॉय

    i-can-now-die-happily-after-working-with-amitabh-b
  • प्रियंका चोपड़ा की शादी पर लिखी ऐसी बात कि भड़क गईं बहन परिणीति, ऐसे दिया जवाब

    parineeti-chopra-got-pissed-after-a-website-declar

कार्टून

  • cartoon-finger-cross-as-election-result-is-awaited
  • bjp-attacked-mns-chief-raj-thackeray-by-cartoo
  • ten-popular-cartoons-of-bal-thackarey-you-must-see
  • ten-popular-cartoons-of-bal-thackarey-you-must-see
  • cartoon-characters-giving-message-vote-definitely
About us
excelkhabar
Facebook LinkedIn Twitter G-plus RSS
अभी अभी
  • संक्रमण की रोकथाम में न रहे कोई कोर कसर, इसलिए कलेक्‍टर ने नोडल अधिकारी किए नियुक्‍त
  • इंदौर, भोपाल सहित सात जिलों में ही अब कोरोना संक्रमण दर पांच फीसद से अधिक
  • सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने कहा- कोविड-19 की तीसरी लहर से बचने के लिए वैक्सीन बहुत कारगर
  • अब IPL 2021 में नहीं दिखेंगे इंग्लैंड के खिलाड़ी, ECB की ओर से आया ये बयान
  • OTT प्लेटफॉर्म पर रिलीज़ हुई कुणाल कपूर और अमायरा दस्तूर की 'कोई जाने ना'
  • नए नियमों से वाट्सएप यूजर्स को डरने की जरूरत नहीं : रविशंकर प्रसाद
  • मंंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के बीच राज्यपाल आनंदीबेन पटेल से मुलाकात करेंगे CM योगी आदित्यनाथ
  • सोना हुआ सस्ता, चांदी की कीमत में भी भारी गिरावट, जानिए Gold, Silver के रेट
  • कपिल देव ने रिषभ पंत को इंग्लैंड दौरे से पहले बल्लेबाजी को लेकर दी खास सलाह, रोहित से भी की तुलना
Categories
  • ख़ास खबर
  • प्रमुख खबरें
  • शहर समाचार
  • सियासी तर्जुमा
  • अटपटी
  • खेल
  • दिल पे मत ले यार
  • हैल्थ
 
  • राजनीति
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • व्यापार
  • कला साहित्य
  • ज्योतिष
 
  • कार्टून
  • ब्लॉग
  • शख्सियत
  • विश्लेषण
  • एक नजर
All Right Reserved excelkhabar
About Us About the Editor Advertise With Us Contact Us
Powered By : Solyn Software

Login

No account yet? Sign Up
Login with Facebook
Login with Twitter
I forgot my password